Vimal Kumar

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कलह से सस्ता मनोरंजन और क्या होगा? हाँ होता है—सो बच्चों की पलटन भी तो लगी है । पुरुष भी पक्ष-विपक्ष सँभाल लेते हैं और इतने जोर से गाली तथा चुनौती देते हैं कि लगता है दो-चार सौ आदमियों को तो ये अभी मार डालेंगे । पर थोड़ी देर में यह 'उष्ण-युद्ध' 'शीत-युद्ध' में बदल जाता है; यानी हर पक्ष अपने पड़ोसी से विपक्षी की निन्दा करता है । मैं नया किराएदार हूँ, अभी केवल दर्शक हूँ । कोशिश बराबर चलने लगी है कि नाटक में हिस्सा भी लूँ
निठल्ले की डायरी
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