हम दोनों जो हर्फ़2 थे हम इक रोज़ मिले इक लफ़्ज़3 बना और हमने इक माने4 पाए फिर जाने क्या हम पर गुज़री और अब यूँ है तुम इक हर्फ़ हो इक ख़ाने में मैं इक हर्फ़ हूँ इक ख़ाने में बीच में कितने लम्हों के ख़ाने ख़ाली हैं फिर से कोई लफ़्ज़ बने और हम दोनों इक माने पाएँ ऐसा हो सकता है लेकिन सोचना होगा इन ख़ाली ख़ानों में हमको भरना क्या है।