वक़्त के अगले शहर मुझे अब जाना होगा वक़्त के अगले शहर के सारे बाशिंदे 2 सब दिन सब रातें जो तुम से नावाक़िफ़ 3 होंगे वो कब मेरी बात सुनेंगे मुझसे कहेंगे जाओ अपनी राह लो राही हमको कितने काम पड़े हैं जो बीती सो बीत गयी अब वो बातें क्यूँ दोहराते हो कंधे पर ये झोली रक्खे क्यूँ फिरते हो क्या पाते हो

