Sanchit Kalra

89%
Flag icon
मुझको यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं एक ये दिन जब अपनों ने भी हमसे नाता तोड़ लिया एक वो दिन जब पेड़ की शाख़ें बोझ हमारा सहती थीं
Tarkash (Hindi)
Rate this book
Clear rating