Sanchit Kalra

89%
Flag icon
एक ये दिन ज़ब सारी सड़कें रूठी-रूठी लगती हैं एक वो दिन जब ‘आओ खेलें’ सारी गलियाँ कहती थीं एक ये दिन जब जागी रातें दीवारों को तकती हैं एक वो दिन जब शामों की भी पलकें बोझिल रहती थीं एक ये दिन जब ज़हन में सारी अय्यारी1 की बातें हैं एक वो दिन जब दिल में भोली-भाली बातें रहती थीं
Tarkash (Hindi)
Rate this book
Clear rating