सनीचर और तमाशबीन में लगभग एक बहस–सी हो गई। सनीचर की राय थी कि राधेलाल बड़ा काइयाँ है और शहर के वकील बड़े भोंदू हैं, तभी वे उसे जिरह में नहीं उखाड़ पाते। उधर तमाशबीन इसे चमत्कार और देवता के इष्ट के रूप में मानने पर तुला था। तर्क और आस्था की लड़ाई हो रही थी और कहने की ज़रूरत नहीं कि आस्था तर्क को दबाये दे रही थी।