हँसना बन्द करके रुप्पन बाबू ने कहा, ‘‘तो आप उन्हीं बख्तावरसिंह के चेले हैं !’’ ‘‘था। आज़ादी मिलने के पहले था। पर अब तो हमें जनता की सेवा करनी है। गरीबों का दुख–दर्द बँटाना है। नागरिकों के लिए...।’’ रुप्पन बाबू उनकी बाँह छूकर बोले, ‘‘छोड़िए, यहाँ मुझे और आपको छोड़कर तीसरा कोई भी सुननेवाला नहीं है।’’