AJAY KUMAR

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एक चवन्नी चाँदी की—जय बोल महात्मा गाँधी की ! नारा, सभी नारों की तरह, खोखला और निकम्मा है, क्योंकि चवन्नी की जगह अब पच्चीस पैसे चलते हैं। चवन्नी ख़त्म हो चुकी है, चाँदी ख़त्म हो चुकी है, महात्मा गाँधी ख़त्म हो चुके हैं।
राग दरबारी
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