AJAY KUMAR

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नहीं मास्टर साहब, जनता के रुपये के पीछे इतना सोच–विचार न करो; नहीं तो बड़ी तकलीफ़ उठानी पड़ेगी।’’ मालवीयजी को गयादीन की चिन्ताधारा बहुत ही गहन–सी जान पड़ी। गहन थी भी। वे अभी किनारे पर बालू ही में लोट रहे थे।
राग दरबारी
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