AJAY KUMAR

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वे बन्दरों की तरह खों–खों करते हुए एक–दूसरे पर झपटते, फिर बिना किसी के रोके हुए, अपने–आप रुक जाते। अगर उस समय कोई बाहरी आदमी रुककर उनकी ओर देखने लगता या शान्ति के फ़ाख्ते की तजवीज़ करता, तो दोनों खों–खों करते हुए एक साथ उसी पर झपट पड़ते।
राग दरबारी
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