AJAY KUMAR

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दारोग़ाजी मुस्कराकर बोले, ‘‘यह तो साहब बड़ी ज़्यादती है। कहाँ तो पहले के डाकू नदी–पहाड़ लाँघकर घर पर रुपया लेने आते थे, अब वे चाहते हैं कि कोई उन्हीं के घर जाकर रुपया दे आवे।’’
राग दरबारी
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