हथियार देने से डर था कि गाँव में रहनेवाले असभ्य और बर्बर आदमी बन्दूकों का इस्तेमाल सीख जाएँगे, जिससे वे एक–दूसरे की हत्या करने लगेंगे, खून की नदियाँ बहने लगेंगी। जहाँ तक डाकुओं से उनकी सुरक्षा का सवाल था, वह दारोग़ाजी और उनके दस–बारह आदमियों की जादूगरी पर छोड़ दिया गया था।