तब नागरिक–शास्त्र के मास्टर उन्हें गम्भीरता से बताने लगे कि उपाध्यक्ष की ताकत कितनी बड़ी है। इस विश्वास से कि गयादीन इस बारे में कुछ नहीं जानते, उन्होंने उपाध्यक्ष की हैसियत को भारत के संविधान के अनुसार बताना शुरू कर दिया, पर गयादीन जूते की नोक से ज़मीन पर एक गोल दायरा बनाते रहे जिसका अर्थ यह न था कि वे ज्योमेट्री के जानकार नहीं हैं, बल्कि इससे साफ़ ज़ाहिर होता था कि वे किसी फन्दे के बारे में सोच रहे हैं।