Abhishek Sharma

57%
Flag icon
उनसे कुछ दूर आगे बहुत–सी प्रौढ़ और तजुर्बेकार महिलाएँ भी उसी मतलब से सड़क के दोनों ओर क़तार बाँधकर बैठी थीं। वहाँ पर उनकी बेशर्म मौजूदगी नव–भारत के निर्माताओं पर लानत भेज रही थी। पर इसका पता उन निर्माताओं को निश्चय ही नहीं था, क्योंकि वे शायद उस वक़्त अपने घर के सबसे छोटे, पर लकदक कमरे में कमोड पर बैठे अख़बार, क़ब्ज़ियत और विदेश–गमन की समस्याओं पर विचार कर रहे थे।
राग दरबारी
Rate this book
Clear rating