भंग पीनेवालों में भंग पीसना एक कला है, कविता है, कार्रवाई है, करतब है, रस्म है। वैसे टके की पत्ती को चबाकर ऊपर से पानी पी लिया जाए तो अच्छा–खासा नशा आ जाएगा, पर यह नशेबाजी सस्ती है। आदर्श यह है कि पत्ती के साथ बादाम, पिस्ता, गुलकन्द, दूध–मलाई आदि का प्रयोग किया जाए। भंग को इतना पीसा जाए कि लोढ़ा और सिल चिपककर एक हो जाएँ, पीने के पहले शंकर भगवान् की तारीफ़ में छन्द सुनाये जाएँ और पूरी कार्रवाई को व्यक्तिगत न बनाकर उसे सामूहिक रूप दिया जाए।