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Kindle Notes & Highlights
वर्तमान शिक्षा–पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है।
इतना काम है कि सारा काम ठप्प पड़ा है।
कोई साला काम तो करता नहीं है, सब एक–दूसरे की इज़्ज़त करते हैं।
वहाँ लकड़ी की एक टूटी–फूटी चौकी पड़ी थी। उसकी ओर उँगली उठाकर गयादीन ने कहा, नैतिकता, समझ लो कि यही चौकी है। एक कोने में पड़ी है। सभा–सोसायटी के वक़्त इस पर चादर बिछा दी जाती है। तब बड़ी बढ़िया दिखती है। इस पर चढ़कर लेक्चर फटकार दिया जाता है। यह उसी के लिए है।’’
एक पुराने श्लोक में भूगोल की एक बात समझाई गई है कि सूर्य दिशा के अधीन होकर नहीं उगता। वह जिधर ही उदित होता है, वही पूर्व दिशा हो जाती है। उसी तरह उत्तम कोटि का सरकारी आदमी कार्य के अधीन दौरा नहीं करता, वह जिधर निकल जाता है, उधर ही उसका दौरा हो जाता है।
आदमी का सम्मान उसकी अच्छाई के कारण नहीं, उसकी उपयोगिता के कारण होता है।
वास्तव में सच्चे हिन्दुस्तानी की यही परिभाषा है कि वह इन्सान जो कहीं भी पान खाने का इन्तज़ाम कर ले और कहीं भी पेशाब करने की जगह ढूँढ़ ले।
भाषण की असलियत दिए जाने में है, लिये जाने में नहीं।
तभी तो कहा कि शहर में हर दिक्कत के आगे एक राह है और देहात में हर राह के आगे एक दिक्कत है।’’