‘चमरही’ गाँव के एक मुहल्ले का नाम था जिसमें चमार रहते थे। चमार एक जाति का नाम है जिसे अछूत माना जाता है। अछूत एक प्रकार के दुपाये का नाम है जिसे लोग संविधान लागू होने से पहले छूते नहीं थे। संविधान एक कविता का नाम है जिसके अनुच्छेद 17 में छुआछूत खत्म कर दी गई है क्योंकि इस देश में लोग कविता के सहारे नहीं, बल्कि धर्म के सहारे रहते हैं और क्योंकि छुआछूत इस देश का एक धर्म है, इसलिए शिवपालगंज में भी दूसरे गाँवों की तरह अछूतों के अलग–अलग मुहल्ले थे और उनमें सबसे ज़्यादा प्रमुख मुहल्ला चमरही था जिसे ज़मींदारों ने किसी ज़माने में बड़ी ललक से बसाया था और उस ललक का कारण ज़मींदारों के मन में चर्म–उद्योग
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