उस गाँव में कुछ मास्टर भी रहते थे जिनमें एक खन्ना थे जो कि बेवकूफ़ थे; दूसरे मालवीय थे, वह भी बेवकूफ़ थे; तीसरे, चौथे, पाँचवें, छठे और सातवें मास्टर का नाम गयादीन नहीं जानते थे, पर वे मास्टर भी बेवकूफ़ थे और गयादीन की निराशा इस समय कुछ और गाढ़ी हुई जा रही थी, क्योंकि सात मास्टर एक साथ उनके मकान की ओर आ रहे थे और निश्चय ही वे चोरी के बारे में सहानुभूति दिखाकर एकदम से कॉलिज के बारे में कोई बेवकूफ़ी की बात शुरू करनेवाले थे।