Prashant Nagpal

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नयी पीढ़ी की यह आस्था थी कि पुरानी पीढ़ी जड़ थी, थोड़े से खुश हो जाती थी और अपने और समाज के प्रति ईमानदार न थी, जबकि हम चेतन हैं, किसी भी हालत में खुश नहीं होते हैं और अपने प्रति ईमानदार हैं और समाज के प्रति कुछ नहीं हैं, क्योंकि समाज कुछ नहीं है।
राग दरबारी
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