राग दरबारी
Rate it:
Read between October 28, 2020 - March 4, 2021
2%
Flag icon
मध्यकाल का कोई सिंहासन रहा होगा जो अब घिसकर आरामकुर्सी बन गया था।
3%
Flag icon
जिन रोमाण्टिक कवियों को बीते दिनों की याद सताती है, उन्हें कुछ दिन रोके रखने के लिए यह थाना आदर्श स्थान था।
4%
Flag icon
वैसे देखने में उनकी शक्ल एक घबराए हुए मरियल बछड़े की–सी थी, पर उनका रोब पिछले पैरों पर खड़े हुए एक हिनहिनाते घोड़े का–सा जान पड़ता था।
5%
Flag icon
इस देश में जाति–प्रथा को खत्म करने की यही एक सीधी–सी तरकीब है। जाति से उसका नाम छीनकर उसे किसी आदमी का नाम बना देने से जाति के पास और कुछ नहीं रह जाता। वह अपने–आप ख़त्म हो जाती है।
8%
Flag icon
हर बड़े राजनीतिज्ञ की तरह वे राजनीति से नफ़रत करते थे और राजनीतिज्ञों का मज़ाक उड़ाते थे।
9%
Flag icon
इससे प्रकट हुआ कि हमारे यहाँ आज भी शास्त्र सर्वोपरि है और जाति–प्रथा मिटाने की सारी कोशिशें अगर फ़रेब नहीं हैं तो रोमाण्टिक कार्रवाइयाँ हैं।
10%
Flag icon
दरख़्वास्त बेचारी तो चींटी की जान–जैसी है। उसे लेने के लिए कोई बड़ी ताकत न चाहिए।
12%
Flag icon
सज़ा भुगतकर आने के बाद उन्हें पता चला कि शहीद होने के लिए उन्हें अफ़ीम का क़ानून नहीं, नमक-क़ानून तोड़ना चाहिए था।
12%
Flag icon
जिसे अपने को बम्बई में ‘सँडीलवी’ कहते हुए शरम नहीं आती, वही कुरता–पायजामा पहनकर और मुँह में चार पान और चार लिटर थूक भरकर न्यूयार्क के फुटपाथों पर अपने देश की सभ्यता का झण्डा खड़ा कर सकता है।
13%
Flag icon
किसी भी सामान्य मूर्ख की तरह उसने एम.ए. करने के बाद तत्काल नौकरी न मिलने के कारण रिसर्च शुरू कर दी थी, पर किसी भी सामान्य बुद्धिमान की तरह वह जानता था कि रिसर्च करने के लिए विश्वविद्यालय में रहना और नित्यप्रति पुस्तकालय में बैठना ज़रूरी नहीं है।
14%
Flag icon
नयी पीढ़ी की यह आस्था थी कि पुरानी पीढ़ी जड़ थी, थोड़े से खुश हो जाती थी और अपने और समाज के प्रति ईमानदार न थी, जबकि हम चेतन हैं, किसी भी हालत में खुश नहीं होते हैं और अपने प्रति ईमानदार हैं और समाज के प्रति कुछ नहीं हैं, क्योंकि समाज कुछ नहीं है।
16%
Flag icon
लेक्चर का मज़ा तो तब है जब सुननेवाले भी समझें कि यह बकवास कर रहा है और बोलनेवाला भी समझे कि मैं बकवास कर रहा हूँ।
17%
Flag icon
घूम–फिरकर बात यही रहती थी कि भारत एक खेतिहर देश है, तुम खेतिहर हो, तुमको अच्छी खेती करनी चाहिए, अधिक अन्न उपजाना चाहिए। प्रत्येक वक्ता इसी सन्देह में गिरफ़्तार रहता था कि काश्तकार अधिक अन्न नहीं पैदा करना चाहते।
20%
Flag icon
अपने मुहल्ले में देवदास पार्वती से शादी नहीं कर सका और एक समूची पीढ़ी को कई वर्षों तक रोने का मसाला दे गया था।
22%
Flag icon
इसी को ‘ठाँय’ कहते हैं। इसी के साथ निशी और निक्कू फिलासफी की हज़ार मीटरवाली दौड़ पर निकल पड़ते हैं।
24%
Flag icon
यानी इन्सानियत का प्रयोग शिवपालगंज में उसी तरह चुस्ती और चालाकी का लक्षण माना जाता था जिस तरह राजनीति में नैतिकता का।
29%
Flag icon
उस गाँव में कुछ मास्टर भी रहते थे जिनमें एक खन्ना थे जो कि बेवकूफ़ थे; दूसरे मालवीय थे, वह भी बेवकूफ़ थे; तीसरे, चौथे, पाँचवें, छठे और सातवें मास्टर का नाम गयादीन नहीं जानते थे, पर वे मास्टर भी बेवकूफ़ थे और गयादीन की निराशा इस समय कुछ और गाढ़ी हुई जा रही थी, क्योंकि सात मास्टर एक साथ उनके मकान की ओर आ रहे थे और निश्चय ही वे चोरी के बारे में सहानुभूति दिखाकर एकदम से कॉलिज के बारे में कोई बेवकूफ़ी की बात शुरू करनेवाले थे।
30%
Flag icon
‘चमरही’ गाँव के एक मुहल्ले का नाम था जिसमें चमार रहते थे। चमार एक जाति का नाम है जिसे अछूत माना जाता है। अछूत एक प्रकार के दुपाये का नाम है जिसे लोग संविधान लागू होने से पहले छूते नहीं थे। संविधान एक कविता का नाम है जिसके अनुच्छेद 17 में छुआछूत खत्म कर दी गई है क्योंकि इस देश में लोग कविता के सहारे नहीं, बल्कि धर्म के सहारे रहते हैं और क्योंकि छुआछूत इस देश का एक धर्म है, इसलिए शिवपालगंज में भी दूसरे गाँवों की तरह अछूतों के अलग–अलग मुहल्ले थे और उनमें सबसे ज़्यादा प्रमुख मुहल्ला चमरही था जिसे ज़मींदारों ने किसी ज़माने में बड़ी ललक से बसाया था और उस ललक का कारण ज़मींदारों के मन में चर्म–उद्योग ...more
30%
Flag icon
गाँधी, जैसा कि कुछ लोगों को आज भी याद होगा, भारतवर्ष में ही पैदा हुए थे और उनके अस्थि–कलश के साथ ही उनके सिद्धान्तों को संगम में बहा देने के बाद यह तय किया गया था कि गाँधी की याद में अब सिर्फ़ पक्की इमारतें बनायी जाएँगी
32%
Flag icon
मेले का जोश बुलन्दी पर था और अॉल इण्डिया रेडियो अगर इस पर रनिंग कमेण्ट्री देता तो यह ज़रूर साबित कर देता कि पंचवर्षीय योजनाओं के कारण लोग बहुत खुशहाल हैं और गाते–बजाते, एक–दूसरे पर प्रेम और आनन्द की वर्षा करते वे मेला देखने जा रहे हैं।
35%
Flag icon
फिर वह बौद्ध विहारों को गोपुरम् और गोपुरम् को स्तूप समझने की ग़लती भले ही कर बैठे, नारी-मूर्ति को पुरुष-मूर्ति मानने की भूल नहीं कर सकता।
39%
Flag icon
अदालत के एक पंच उन राजनीतिज्ञों की तरह थे जो यू. एन. ओ. में समस्या से हटकर सिद्धान्त की बात करते हैं और इस तरह वे किसी का विरोध नहीं करते और बदले में कोई उनका विरोध नहीं करता। ‘जनता शान्ति चाहती है’, ‘हमारी सभ्यता की नींव विश्वबन्धुत्व और प्रेम पर पड़नी चाहिए’ आदि–आदि किताबी बातें सुनकर कमीना–से–कमीना देश भी सिर हिलाकर ‘हाँ’ करने से बाज़ नहीं आता और उस राजनीतिज्ञ का यह भ्रम और भी फूल जाता है कि उसने कितनी सच्ची बात कही है।
61%
Flag icon
उनके पास दस गैसबत्तियाँ थीं जो शादियों के मौसम में किराए पर चलती थीं। साथ ही उनके पास दो बन्दूकें थीं, जो डकैतियों के मौसम में किराये पर चलती थीं।
62%
Flag icon
चुनाव जीतने का यह तरीक़ा रामनगर के नाम से पेटेंट हुआ।
62%
Flag icon
इसके बाद इस तरह की कई घटनाएँ हुईं और ब्राह्मण उम्मीदवार को मालूम हो गया कि पुरुष–ब्रह्म का मुख पुरुष–ब्रह्म के पैर से ज़्यादा दूर नहीं है और संक्षेप में जहाँ मुँह चलता हो और जवाब में लात चलती हो, वहाँ मुँह बहुत देर तक नहीं चल पाता।
68%
Flag icon
शराबख़ाने से लगभग सौ गज़ आगे एक पीपल का पेड़ था जिस पर एक भूत रहता था। भूत काफ़ी पुराना था और आज़ादी मिलने, जम़ींदारी टूटने, गाँव–सभा क़ायम होने, कॉलिज खुलने–जैसी सैकड़ों घटनाओं के बावजूद मरा न था।
73%
Flag icon
इस तरह के मैत्रीपूर्ण समझौते को अंग्रेज़ी में ‘ आफ़िस-कम रेजीडेन्स’ कहा जाता है। हिन्दी में उसे ‘आफ़िस–कम–रेज़ीडेन्स–ज़्यादा’ कहते हैं।
74%
Flag icon
राबिन्सन क्रूसो के बजाय कोई हिन्दुस्तानी किसी एकान्त द्वीप पर अटक गया होता तो फ्राइडे की जगह वह किसी पान बनानेवाले को ही ढूँढ़ निकालता।
77%
Flag icon
पृथ्वी पर स्वर्ग का यह एक ऐसा कोना था जहाँ सारी सचाई निगाह के सामने थी।
81%
Flag icon
गयादीन ने शर्मीले नौजवान से पूछा, ‘‘तुम कौन हो भैया ?’’ इस सवाल का प्रत्येक भारतीय के पास यही एक आसान जवाब है कि वह चट से अपनी जाति का नाम बता दे। उसने कहा, ‘‘मैं अगरवाल हूँ।’’
81%
Flag icon
इस बार उस नौजवान ने, देश के औसत नौजवानों की तरह जो प्रेम अपने साथ पढ़नेवाली लड़कियों से और ब्याह अपने बाप के द्वारा दहेज की सीढ़ी से उतारकर लायी गई लड़की से करता है, कहा, ‘‘मैं कुछ नहीं जानता। पिताजी जैसा हुक्म देंगे, करूँगा।’’
85%
Flag icon
सूअर का–सा लेंड़–न लीपने के काम आय, न जलाने के।
86%
Flag icon
भाषण की असलियत दिए जाने में है, लिये जाने में नहीं।
89%
Flag icon
उसने बेला के बारे में कुछ भी जानने से इनकार कर दिया और कहा कि लड़की पढ़ी–लिखी है तो अच्छा है और नहीं है तो बहुत अच्छा है, क्योंकि मुझे उससे मास्टरी नहीं करानी है; और लड़की सुन्दर है तो अच्छा है और नहीं है तो बहुत अच्छा है, क्योंकि मुझे उसे कोठे पर नहीं बैठाना है।
90%
Flag icon
भैंस ने इस बार खूँटे से कुछ दूर आकर एक ऐसा राक–एन–रोल दिखाया कि लगा अब भैंस की जगह यहाँ एल्विस प्रिस्ले को बुलाना पड़ेगा।
94%
Flag icon
न ख़ून हो रहा था, न डाका पड़ रहा था, इसलिए पुलिस को जैसे ही याद किया गया, घटना समाप्त होने का इन्तज़ार किये बिना ही वह मौक़े पर आ गई।
99%
Flag icon
वह जानता था कि जब वे बेवकूफ़ बनते हैं तो अपनी इच्छा से बनते हैं। बेवकूफ़ बनना उनके लिए मजबूरी नहीं, शौक की, लगभग ऐय्याशी की बात थी।