रंगनाथ को इस बातचीत में पीढ़ी-संघर्ष की झलक दीख पड़ी। उसने सनीचर से पूछा, ‘‘क्या आजकल के चोट्टे सचमुच ही ऐसे तीसमारखाँ हैं? पहले भी तो एक–से–एक ख़तरनाक चोट्टे हुआ करते थे।’’ सनीचर उस उम्र का था जिसे नयी पीढ़ीवाले पुरानी के साथ और पुरानी पीढ़ीवाले नयी के साथ लगाते हैं और आयु को लेकर पीढ़ियों में वैज्ञानिक विभाजन न होने के कारण जिसे दोनों वर्ग अपने से अलग समझते हैं। इसी कारण उसके ऊपर किसी भी पीढ़ी का समर्थन करने की मजबूरी न थी। साहित्य और कला के सैकड़ों अर्ध–प्रौढ़ आलोचकों की तरह सिर हिलाकर, अपनी राय देने से कतराते हुए, वह बोला, ‘‘भैया रंगनाथ, पहले के लोगों का हाल न पूछो। यहीं ठाकुर दुरबीनिसंह
रंगनाथ को इस बातचीत में पीढ़ी-संघर्ष की झलक दीख पड़ी। उसने सनीचर से पूछा, ‘‘क्या आजकल के चोट्टे सचमुच ही ऐसे तीसमारखाँ हैं? पहले भी तो एक–से–एक ख़तरनाक चोट्टे हुआ करते थे।’’ सनीचर उस उम्र का था जिसे नयी पीढ़ीवाले पुरानी के साथ और पुरानी पीढ़ीवाले नयी के साथ लगाते हैं और आयु को लेकर पीढ़ियों में वैज्ञानिक विभाजन न होने के कारण जिसे दोनों वर्ग अपने से अलग समझते हैं। इसी कारण उसके ऊपर किसी भी पीढ़ी का समर्थन करने की मजबूरी न थी। साहित्य और कला के सैकड़ों अर्ध–प्रौढ़ आलोचकों की तरह सिर हिलाकर, अपनी राय देने से कतराते हुए, वह बोला, ‘‘भैया रंगनाथ, पहले के लोगों का हाल न पूछो। यहीं ठाकुर दुरबीनिसंह थे। मैंने उनके दिन भी देखे हैं। पर आजकल के लौण्डों के भी हाल न पूछो !’’ आज से लगभग तीस साल पहले, जब आज की पीढ़ी पैदा नहीं हुई थी और हुई भी थी तो : यशस्वी रहें हे प्रभो ! हे मुरारे ! चिरंजीव रानी व राजा हमारे ! या ‘खुदाया, जार्ज पंजुम की हिफ़ाज़त कर, हिफ़ाज़त कर’ का कोरस गाने के लिए हुई थी, शिवपालगंज के सबसे प्रमुख गँजहा का नाम ठाकुर दुरबीनसिंह था। उनके माँ–बाप ने उनके नाम के साथ ‘दुरबीन’ लगाकर शायद चाहा था कि उनका लड़का हर काम वैज्ञानिक ढंग से करे। बड़े होकर उन्होंने ऐसा ही किया भी। जिस चीज़ में उन्होंने दिलचस्पी दिखायी, उसे बुनियाद से पकड़ा। उन्हें अंग्रेज़ी कानून कभी अच्छा नहीं लगा। इसलिए जब महात्मा गाँधी सिर्फ़ नमक–कानून तोड़ने के लिए दाण्डी–यात्रा की तैयारी कर रहे थे उन दिनों दुरबीनसिंह ने इण्डियन पेनल कोड की सभी दफाओं को एक–एक करके तोड़ने का बुनियादी काम शुरू कर दिया था। स्वभाव से वे बड़े परोपकारी थे। परोपकार एक व्यक्तिवादी धर्म है और उसके बारे में हर व्यक्ति की अपनी–अपनी धारणा होत...
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