Rahul Mahawar

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रंगनाथ को इस बातचीत में पीढ़ी-संघर्ष की झलक दीख पड़ी। उसने सनीचर से पूछा, ‘‘क्या आजकल के चोट्टे सचमुच ही ऐसे तीसमारखाँ हैं? पहले भी तो एक–से–एक ख़तरनाक चोट्टे हुआ करते थे।’’ सनीचर उस उम्र का था जिसे नयी पीढ़ीवाले पुरानी के साथ और पुरानी पीढ़ीवाले नयी के साथ लगाते हैं और आयु को लेकर पीढ़ियों में वैज्ञानिक विभाजन न होने के कारण जिसे दोनों वर्ग अपने से अलग समझते हैं। इसी कारण उसके ऊपर किसी भी पीढ़ी का समर्थन करने की मजबूरी न थी। साहित्य और कला के सैकड़ों अर्ध–प्रौढ़ आलोचकों की तरह सिर हिलाकर, अपनी राय देने से कतराते हुए, वह बोला, ‘‘भैया रंगनाथ, पहले के लोगों का हाल न पूछो। यहीं ठाकुर दुरबीनिसंह ...more
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राग दरबारी
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