Rahul Mahawar

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प्रधान के चुनाव में अभी लगभग महीना–भर था। एक दिन छोटे पहलवान ने वैद्यजी की बैठक पर कहा, ‘‘सनीचर तीन दिन से कालिकाप्रसाद के साथ शहर के चक्कर काट रहा था। आज खबर मिली है कि मामला चुर्रैट हो गया है।’’ वैद्यजी तख्त पर बैठे थे। सुनते ही उत्सुकता के मारे कुलबुलाने लगे। पर उत्सुकता को ज़ाहिर करना और छोटे से सीधे बात करना–दोनों चीज़ें शान के ख़िलाफ़ पड़ती थीं, इसलिए उन्होंने रंगनाथ से कहा, ‘‘सनीचर को बुलवा लिया जाय।’’ छोटे पहलवान ने अपनी जगह पर खड़े–ही–खड़े दहाड़ा, ‘‘सनीचर, सनीचर, सनीचर हो ऽ ऽ ऽ!’’ शिवपालगंज में ऐसे आदमी को बुलाने की, जो निगाह और हाथ की पहुँच से दूर हो, यह एक ख़ास शैली थी। इसे प्रयोग ...more
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राग दरबारी
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