हिन्दुस्तान में पढ़े–लिखे लोग कभी–कभी एक बीमारी के शिकार हो जाते हैं। उसका नाम ‘क्राइसिस ऑफ़ कांशस’ है। कुछ डॉक्टर उसी में ‘क्राइसिस ऑफ़ फ़ेथ’ नाम की एक दूसरी बीमारी भी बारीकी से ढूँढ़ निकालते हैं। यह बीमारी पढ़े–लिखे लोगों में आमतौर से उन्हीं को सताती है जो अपने को बुद्धिजीवी कहते हैं और जो वास्तव में बुद्धि के सहारे नहीं, बल्कि आहार–निद्रा–भय–मैथुन के सहारे जीवित रहते हैं (क्योंकि अकेली बुद्धि के सहारे जीना एक नामुमकिन बात है)। इस बीमारी में मरीज़ मानसिक तनाव और निराशावाद के हल्ले में लम्बे–लम्बे वक्तव्य देता है, ज़ोर–ज़ोर से बहस करता है, बुद्धिजीवी होने के कारण अपने को बीमार और बीमार होने
हिन्दुस्तान में पढ़े–लिखे लोग कभी–कभी एक बीमारी के शिकार हो जाते हैं। उसका नाम ‘क्राइसिस ऑफ़ कांशस’ है। कुछ डॉक्टर उसी में ‘क्राइसिस ऑफ़ फ़ेथ’ नाम की एक दूसरी बीमारी भी बारीकी से ढूँढ़ निकालते हैं। यह बीमारी पढ़े–लिखे लोगों में आमतौर से उन्हीं को सताती है जो अपने को बुद्धिजीवी कहते हैं और जो वास्तव में बुद्धि के सहारे नहीं, बल्कि आहार–निद्रा–भय–मैथुन के सहारे जीवित रहते हैं (क्योंकि अकेली बुद्धि के सहारे जीना एक नामुमकिन बात है)। इस बीमारी में मरीज़ मानसिक तनाव और निराशावाद के हल्ले में लम्बे–लम्बे वक्तव्य देता है, ज़ोर–ज़ोर से बहस करता है, बुद्धिजीवी होने के कारण अपने को बीमार और बीमार होने के कारण अपने को बुद्धिजीवी साबित करता है और अन्त में इस बीमारी का अन्त कॉफ़ी-हाउस की बहसों में, शराब की बोतलों में, आवारा औरतों की बाँहों में, सरकारी नौकरी में और कभी–कभी आत्महत्या में होता है। जिस दिन से रंगनाथ ने कॉलिज में मैनेजर का चुनाव देखा था, उसे अपने में इस बीमारी का शुबहा होने लगा था। वैद्यजी को देखते ही अचानक उसे वह दृश्य याद आ जाता जब प्रिंसिपल साहब चुनाव के बाद बरछी से बिंधे हुए सूअर की तरह चिचियाते हुए जय–जयकार करते कॉलिज से बाहर निकले थे। उसे ऐसा जान पड़ने लगा कि वैद्यजी के साथ रहते हुए वह डकैतों के किसी गिरोह का सदस्य हो गया है। जब प्रिंसिपल साहब उसके आगे खीसें निपोरकर कोई रोचक क़िस्सा बयान करते–और उनके पास ऐसे क़िस्सों की कमी नहीं थी–तो उस समय उसे बराबर अनुभव होता रहता कि यह आदमी किसी भी क्षण झपटकर किसी का भी गला दबोच सकता है। शहर होता तो वह किसी कॉफ़ी-हाउस में बैठकर दोस्तों के सामने इस चुनाव पर लम्बा–चौड़ा व्याख्यान दे डालता, उन्हें बताता कि किस तरह तमंचे के ज़ोर से छं...
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