खन्ना मास्टर को सम्बोधित करके उन्होंने फिर कहा, ‘‘तुम तो इतिहास पढ़ाते हो न मास्टर साहब ? सिंहगढ़-विजय कैसे हुई थी ?’’ खन्ना मास्टर जवाब सोचने लगे। गयादीन ने कहा, ‘‘मैं ही बताता हूँ। तानाजी क्या लेकर गए थे ? एक गोह। उसको रस्से से बाँध लिया और किले की दीवार पर फेंक दिया। अब गोह तो अपनी जगह जहाँ चिपककर बैठ गई, वहाँ बैठ गई। साथवाले सिपाही उसी रस्से के सहारे सड़ासड़ छत पर पहुँच गए।’’ इतना कहते–कहते वे शायद थक गए। इस आशा से कि मास्टर लोग कुछ समझ गए होंगे, उन्होंने उनके चेहरे को देखा, पर वे निर्विकार थे। गयादीन ने अपनी बात समझाई, ‘‘वही हाल अपने मुल्क का है, मास्टर साहब ! जो जहाँ है, अपनी जगह गोह की
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