Rahul Mahawar

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‘‘बाबू रंगनाथ, मैं गाँव का आदमी, ऊपर से बाँभन, और फिर ऐक्स ज़मींदार, बनर्जी का यह पाखंड सुनकर मेरी देह सुलग गई। तबीयत में आया कि उसकी गरदन पकड़कर इतने ज़ोर से झुलाऊँ कि विमान का असली मतलब टप्–से हलक़ के बाहर निकल पड़े। तब तक बनर्जी ने कहा कि ‘विद्यार्थियो, विमान का असली अर्थ यह नहीं था जो भण्डारकर समझते थे या तुम समझते हो। विमान का असली अर्थ कुछ और ही है।’ ‘‘आख़िर में बनर्जी एकाएक जोश में आकर बोले, ‘विमान का अर्थ है–सतमंज़िला महल ! नोट कर लो !’ ‘‘सन्नाटा छा गया, रंगनाथ, मुझे भी अपनी क़ाबलियत का जोश। वहीं लौंडहाई कर बैठा। मैंने खड़े होकर कहा कि प्रोफ़ेसर साहब, विमान का यह अर्थ तो संस्कृत के सभी ...more
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राग दरबारी
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