Rahul Mahawar

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बद्री ने चौंककर उनकी ओर देखा। वे साफ़ा नहीं बाँधे थे, पर उनकी मूँछें बेतरतीब थीं। वे चिन्तित हो उठे। समझ गए कि वैद्यजी दुखी हैं। कुरेद–कुरेदकर दुख के कारण का अनुसन्धान किया गया। मालूम हुआ कि इधर दो–चार दिन में कई लोगों ने बहुत–से गलत काम किये हैं। प्रिंसिपल ने शहर में जाकर डिप्टी–डायरेक्टर ऑफ़ ऐजुकेशन को कॉलिज–समिति की वार्षिक रिपोर्ट दिखायी थी। रिपोर्ट अत्यन्त सुन्दर अक्षरों में लिखी गई थी। उसकी भाषा प्रांजल और शैली अलंकारपूर्ण थी। वैद्यजी के सौन्दर्य का निरूपण करते हुए उसमें उन्हें इस क्षेत्र का नरकेसरी कहा गया था। यह अच्छी तरह प्रमाणित था कि वैद्यजी को सर्वसम्मति से ‘सहर्ष’ मैनेजर के पद पर ...more
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राग दरबारी
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