Rahul Mahawar

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रंगनाथ का कार्यक्रम वैद्यजी की सलाह से बना था; बहुत सबेरे उठना, उठकर सोचना कि कल का खाया हज़म हो चुका है। (ब्राह्मे मुहूर्त उत्तिष्ठेत् जीर्णाजीर्ण निरूपयेत्), ताँबे के लोटे में रखा हुआ ठण्डा पानी पीना, दूर तक टहलने निकल जाना, नित्यकर्म (क्योंकि संसार में वही एक कर्म नित्य है, बाक़ी अनित्य हैं), टहलते हुए लौटना (पर चंक्रमणं हितम्), मुँह–हाथ धोना, लकड़ी चबाना और उसी क्रम में लगे हाथ दाँत साफ़ करना (निम्बस्य तिक्तके श्रेष्ठ: कषाये बब्बुलस्तथा), गुनगुने पानी से कुल्ले करना (सुखोष्णोदकगण्ड्षै: जायते वक्त्रलाघवम्), व्यायाम करना, दूध पीना, अध्ययन करना, दोपहर को भोजन करना, विश्राम, अध्ययन, सायंकाल ...more
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राग दरबारी
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