रंगनाथ का कार्यक्रम वैद्यजी की सलाह से बना था; बहुत सबेरे उठना, उठकर सोचना कि कल का खाया हज़म हो चुका है। (ब्राह्मे मुहूर्त उत्तिष्ठेत् जीर्णाजीर्ण निरूपयेत्), ताँबे के लोटे में रखा हुआ ठण्डा पानी पीना, दूर तक टहलने निकल जाना, नित्यकर्म (क्योंकि संसार में वही एक कर्म नित्य है, बाक़ी अनित्य हैं), टहलते हुए लौटना (पर चंक्रमणं हितम्), मुँह–हाथ धोना, लकड़ी चबाना और उसी क्रम में लगे हाथ दाँत साफ़ करना (निम्बस्य तिक्तके श्रेष्ठ: कषाये बब्बुलस्तथा), गुनगुने पानी से कुल्ले करना (सुखोष्णोदकगण्ड्षै: जायते वक्त्रलाघवम्), व्यायाम करना, दूध पीना, अध्ययन करना, दोपहर को भोजन करना, विश्राम, अध्ययन, सायंकाल
रंगनाथ का कार्यक्रम वैद्यजी की सलाह से बना था; बहुत सबेरे उठना, उठकर सोचना कि कल का खाया हज़म हो चुका है। (ब्राह्मे मुहूर्त उत्तिष्ठेत् जीर्णाजीर्ण निरूपयेत्), ताँबे के लोटे में रखा हुआ ठण्डा पानी पीना, दूर तक टहलने निकल जाना, नित्यकर्म (क्योंकि संसार में वही एक कर्म नित्य है, बाक़ी अनित्य हैं), टहलते हुए लौटना (पर चंक्रमणं हितम्), मुँह–हाथ धोना, लकड़ी चबाना और उसी क्रम में लगे हाथ दाँत साफ़ करना (निम्बस्य तिक्तके श्रेष्ठ: कषाये बब्बुलस्तथा), गुनगुने पानी से कुल्ले करना (सुखोष्णोदकगण्ड्षै: जायते वक्त्रलाघवम्), व्यायाम करना, दूध पीना, अध्ययन करना, दोपहर को भोजन करना, विश्राम, अध्ययन, सायंकाल टहलने जाना, लौटकर फिर साधारण व्यायाम, बादाम–मनक्के आदि के द्रव का प्रयोग, अध्ययन, भोजन, अध्ययन, शयन। रंगनाथ ने इस पूरे कार्यक्रम को ईमानदारी से अपना लिया था। इसमें सिर्फ़ इतना संशोधन हुआ था कि अध्ययन की जगह वैद्यजी की बैठक में गँजहों की सोहबत ने ले ली थी। चूँकि इससे रंगनाथ के वीर्य की प्रतिरक्षा को कोई खतरा नहीं था और कुल मिलाकर उसके पूरे दैनिक कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ता था, इसलिए वैद्यजी को इस संशोधन में कोई ऐतराज न था। बल्कि एक तरह से वे इसे पसन्द करते थे कि एक पढ़ा–लिखा आदमी उनके पास बैठा रहता है और हर बाहरी आदमी के सामने परिचय कराने के लिए हर समय तैयार मिलता है। कुछ दिनों में ही रंगनाथ को शिवपालगंज के बारे में ऐसा लगने लगा कि महाभारत की तरह, जो कहीं नहीं है वह यहाँ है, और जो यहाँ नहीं है वह कहीं नहीं है। उसे जान पड़ा कि हम भारतवासी एक हैं और हर जगह हमारी बुद्धि एक–सी है। उसने देखा कि जिसकी प्रशंसा में सभी मशहूर अखबार पहले पृष्ठ से ही मोटे–मोटे अक्षरों में चिल्लाना शुरू करते हैं...
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