वैद्यजी को तब बताया गया कि हमें जनता के सामने आदर्श उपस्थित करना चाहिए। ऐसा न हुआ तो जनता का आचरण बिगड़ जाएगा। वह बिगड़ा तो पूरा देश बिगड़ेगा, वर्तमान बिगड़ेगा और भविष्य बिगड़ेगा। राम ने क्या किया था ? सीता का त्याग किया था कि नहीं ? तभी हम आज तक रामराज्य की याद करते हैं। त्याग द्वारा भोग करना चाहिए; यही हमारा आदर्श है। ‘तेन त्यक्तेन भुंजीथा’–कहा भी गया है। आज भी सभी यशस्वी नेता यही करते हैं। भोग करते हैं, फिर उसका त्याग करते हैं, फिर त्याग द्वारा भोग करते हैं। अमुक वित्त-मंत्री ने क्या किया ? त्यागपत्र दिया कि नहीं ? अमुक रेल–मंत्री ने भी यही किया और अमुक सूचना-मन्त्री ने भी यही किया। इस समय
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