रंगनाथ ने उनके कन्धे पर हाथ रखा और मुलायमियत से पूछा, ‘‘रुप्पन, तुमने शराब पी है ?’’ रुप्पन बाबू मस्ती से चल रहे थे, पर लड़खड़ा नहीं रहे थे। दूसरी ओर देखते हुए बोले, ‘‘कहो तो हाँ कर दूँ और कहो तो नहीं ?’’ ‘‘जो सच हो वह कहो।’’ ‘‘सच्चाई किस चिड़िया का नाम है ? किस घोंसले में रहती है ? कौन–से जंगल में पायी जाती है ?’’ रुप्पन बाबू ठहाका मारकर हँसे, ‘‘दादा, यह शिवपालगंज है। यहाँ यह बताना मुश्किल है कि क्या सच है, क्या झूठ।’’ रंगनाथ ने घर की ओर का रास्ता बदल दिया। रुप्पन की कोहनी पकड़कर वह दूसरी ओर चला गया। वे बोले, ‘‘चलिए, यह भी ठीक है। आगे किसी पुलिया पर बैठकर हवा खायें।’’ धीरे–धीरे वे सड़क पर
...more