सनीचर पृथ्वी पर वैद्यजी को एकमात्र आदमी और स्वर्ग में हनुमानजी को एकमात्र देवता मानता था और दोनों से अलग–अलग प्रभावित था। हनुमानजी सिर्फ़ लँगोटा लगाते हैं, इस हिसाब से सनीचर भी सिर्फ़ अण्डरवीयर से काम चलाता था। जिस्म पर बनियान वह तभी पहनता जब उसे सज–धजकर कहीं के लिए निकलना होता। यह तो हुआ हनुमानजी का प्रभाव; वैद्यजी के प्रभाव से वह किसी भी राह–चलते आदमी पर कुत्ते की तरह भौंक सकता था, पर वैद्यजी के घर का कोई कुत्ता भी हो, तो उसके सामने वह अपनी दुम हिलाने लगता था। यह दूसरी बात है कि वैद्यजी के घर पर कुत्ता नहीं था और सनीचर के दुम नहीं थी।