पुनर्जन्म के सिद्धान्त की ईजाद दीवानी की अदालतों में हुई है, ताकि वादी और प्रतिवादी इस अफसोस को लेकर न मरें कि उनका मुकदमा अधूरा ही पड़ा रहा। इसके सहारे वे सोचते हुए चैन से मर सकते हैं कि मुक़दमे का फैसला सुनने के लिए अभी अगला जन्म तो पड़ा ही है। वैद्यजी की बैठक के बाहर चबूतरे पर जो आदमी इस समय बैठा था, उसने लगभग सात साल पहले दीवानी का एक मुकदमा दायर किया था; इसलिए स्वाभाविक था कि वह अपनी बात में पूर्वजन्म के पाप, भाग्य, भगवान्, अगले जन्म के कार्यक्रम आदि का नियमित रूप से हवाला देता। उसको लोग लंगड़ कहते थे। माथे पर कबीरपन्थी तिलक, गले में तुलसी की कण्ठी, आँधी–पानी झेला हुआ दढ़ियल चेहरा,
पुनर्जन्म के सिद्धान्त की ईजाद दीवानी की अदालतों में हुई है, ताकि वादी और प्रतिवादी इस अफसोस को लेकर न मरें कि उनका मुकदमा अधूरा ही पड़ा रहा। इसके सहारे वे सोचते हुए चैन से मर सकते हैं कि मुक़दमे का फैसला सुनने के लिए अभी अगला जन्म तो पड़ा ही है। वैद्यजी की बैठक के बाहर चबूतरे पर जो आदमी इस समय बैठा था, उसने लगभग सात साल पहले दीवानी का एक मुकदमा दायर किया था; इसलिए स्वाभाविक था कि वह अपनी बात में पूर्वजन्म के पाप, भाग्य, भगवान्, अगले जन्म के कार्यक्रम आदि का नियमित रूप से हवाला देता। उसको लोग लंगड़ कहते थे। माथे पर कबीरपन्थी तिलक, गले में तुलसी की कण्ठी, आँधी–पानी झेला हुआ दढ़ियल चेहरा, दुबली–पतली देह, मिर्ज़ई पहने हुए। एक पैर घुटने के पास से कटा था, जिसकी कमी एक लाठी से पूरी की गई थी। चेहरे पर पुराने ज़माने के उन ईसाई सन्तों का भाव, जो रोज़ अपने हाथ से अपनी पीठ पर खींचकर सौ कोड़े मारते हों। उसकी ओर सनीचर ने भंग का एक गिलास बढ़ाया और कहा, ‘‘लो भाई लंगड़, पी जाओ। इसमें बड़े–बड़े माल पड़े हैं।’’ लंगड़ ने आँखें मूँदकर इनकार किया और थोड़ी देर दोनों में बहस होती रही जिसका सम्बन्ध भंग की गरिमा, बादाम–मुनक्के के लाभ, जीवन की क्षण-भंगुरता, भोग और त्याग–जैसे दार्शनिक विषयों से था। बहस के अन्त में सनीचर ने अपना दूसरा हाथ अण्डरवियर में पोंछकर सभी तर्कों से छुटकारा पा लिया और सांसारिक विषयों के प्रति उदासीनता दिखाते हुए भुनभुनाकर कहा, ‘‘पीना हो तो सटाक से गटक जाओ, न पीना हो तो हमारे ठेंगे से !’’ लंगड़ ने ज़ोर से साँस खींची और आँखें मूँद लीं, जो कि आत्म–दया से पीड़ित व्यक्तियों से लेकर ज़्यादा खा जानेवालोें तक में भाव–प्रदर्शन की एक बड़ी ही लोकप्रिय मुद्रा मानी जाती है। सनीचर ने उसे छो...
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