प्रिंसिपल साहब भंग पीकर अब तक भूल चुके थे कि आराम हराम है। एक बड़ा–सा तकिया अपनी ओर खींचकर वे इत्मीनान से बैठ गए और बोले, ‘‘बात क्या है ?’’ सनीचर ने बहुत धीरे–से कहा, ‘‘कोअॉपरेटिव यूनियन में ग़बन हो गया है। बद्री भैया सुनेंगे तो सुपरवाइज़र को खा जाएँगे।’’ प्रिंसिपल आतंकित हो गए। उसी तरह फुसफुसाकर बोले, ‘‘ऐसी बात है !’’ सनीचर ने सिर झुकाकर कुछ कहना शुरू कर दिया। वार्तालाप की यह वही अखिल भारतीय शैली थी जिसे पारसी थियेटरों ने अमर बना दिया है। इसके सहारे एक आदमी दूसरे से कुछ कहता है और वहीं पर खड़े हुए तीसरे आदमी को कानोंकान खबर नहीं होती; यह दूसरी बात है कि सौ गज़ की दूरी तक फैले हुए दर्शकगण उस
प्रिंसिपल साहब भंग पीकर अब तक भूल चुके थे कि आराम हराम है। एक बड़ा–सा तकिया अपनी ओर खींचकर वे इत्मीनान से बैठ गए और बोले, ‘‘बात क्या है ?’’ सनीचर ने बहुत धीरे–से कहा, ‘‘कोअॉपरेटिव यूनियन में ग़बन हो गया है। बद्री भैया सुनेंगे तो सुपरवाइज़र को खा जाएँगे।’’ प्रिंसिपल आतंकित हो गए। उसी तरह फुसफुसाकर बोले, ‘‘ऐसी बात है !’’ सनीचर ने सिर झुकाकर कुछ कहना शुरू कर दिया। वार्तालाप की यह वही अखिल भारतीय शैली थी जिसे पारसी थियेटरों ने अमर बना दिया है। इसके सहारे एक आदमी दूसरे से कुछ कहता है और वहीं पर खड़े हुए तीसरे आदमी को कानोंकान खबर नहीं होती; यह दूसरी बात है कि सौ गज़ की दूरी तक फैले हुए दर्शकगण उस बात को अच्छी तरह सुनकर समझ लेते हैं और पूरे जनसमुदाय में स्टेज पर खड़े हुए दूसरे आदमी को छोड़कर, सभी लोग जान लेते हैं कि आगे क्या होनेवाला है। संक्षेप में, बात को गुप्त रखने की इस हमारी परम्परागत शैली को अपनाकर सनीचर ने प्रिंसिपल साहब को कुछ बताना शुरू किया। पर वैद्यजी कड़ककर बोले, ‘‘क्या स्त्रियों की भाँति फुस–फुस कर रहा है? कोअॉपरेटिव में ग़बन हो गया तो कौन–सी बड़ी बात हो गई ? कौन–सी यूनियन है जिसमें ऐसा न हुआ हो ?’’ कुछ रुककर, वे समझाने के ढंग पर बोले, ‘‘हमारी यूनियन में ग़बन नहीं हुआ था, इस कारण लोग हमें सन्देह की दृष्टि से देखते थे। अब तो हम कह सकते हैं कि हम सच्चे आदमी हैं। ग़बन हुआ है और हमने छिपाया नहीं है। जैसा है, वैसा हमने बता दिया है।’’ साँस खींचकर उन्होंने बात समाप्त की, ‘‘चलो अच्छा ही हुआ। एक काँटा निकल गया...चिन्ता मिटी।’’ प्रिंसिपल साहब तकिये के सहारे निश्चल बैठे रहे। आख़िर में एक ऐसी बात बोले जिसे सब जानते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लोग आजकल बड़े बेईमान हो गए हैं।’’ यह बात ब...
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