कुसहरप्रसाद स्वभाव से गम्भीर थे, इसलिए वे गंगादयाल से व्यर्थ गाली–गलौज नहीं करते थे। उन्होंने रोज़ सवेरे खेतों पर जाने से पहले अपने बाप से झगड़ा करने की परम्परा भी ख़त्म कर दी। इसकी जगह उन्होंने मासिक रूप से युद्ध करने का चलन चलाया। बचपन से ही गंगादयाल को फूहड़ गालियाँ देने में ऐसी दक्षता प्राप्त हो गई थी कि नौजवान गँजहे उनके पास शाम को आकर बैठने लगे थे। वे उनकी मौलिक गालियों को सुनते और बाद में उन्हें अपनी बनाकर प्रचारित करते। गालियों और ग्राम–गीतों का कॉपीराइट नहीं होता। इस हिसाब से गंगादयाल की गालियाँ हज़ार कण्ठों से हज़ार पाठान्तरों के साथ फूटा करती थीं। पर कुसहरप्रसाद अपने बाप की इस
कुसहरप्रसाद स्वभाव से गम्भीर थे, इसलिए वे गंगादयाल से व्यर्थ गाली–गलौज नहीं करते थे। उन्होंने रोज़ सवेरे खेतों पर जाने से पहले अपने बाप से झगड़ा करने की परम्परा भी ख़त्म कर दी। इसकी जगह उन्होंने मासिक रूप से युद्ध करने का चलन चलाया। बचपन से ही गंगादयाल को फूहड़ गालियाँ देने में ऐसी दक्षता प्राप्त हो गई थी कि नौजवान गँजहे उनके पास शाम को आकर बैठने लगे थे। वे उनकी मौलिक गालियों को सुनते और बाद में उन्हें अपनी बनाकर प्रचारित करते। गालियों और ग्राम–गीतों का कॉपीराइट नहीं होता। इस हिसाब से गंगादयाल की गालियाँ हज़ार कण्ठों से हज़ार पाठान्तरों के साथ फूटा करती थीं। पर कुसहरप्रसाद अपने बाप की इस प्रतिभा से ज़्यादा प्रभावित नहीं हुए। चुपचाप उनकी गालियाँ सुनते रहते और महीने में एक बार उन पर दो–चार लाठियाँ झाड़कर फिर अपने काम में लग जाते। यह पद्धति अपच की पारिवारिक बीमारी के लिए बड़ी लाभप्रद साबित हुई क्योंकि ख़ानदान में अपच की शिकायत गंगादयाल के साथ ही ख़त्म हो गई। कुसहरप्रसाद के दो भाई थे। एक बड़कऊ और एक छोटकऊ। बड़कऊ और छोटकऊ शान्तिप्रिय और निरस्त्रीकरण के उपासक थे। उम्र–भर उन्होंने कभी कुत्ते पर लाठी नहीं उठायी। बिल्लियाँ स्वच्छन्दतापूर्वक उनका रास्ता काट जाती थीं, पर उन्होंने कभी उन्हें ढेला तक नहीं मारा। उन्होंने अपने बाप से गाली देने की कला सीख ली थी और उसके सहारे रोज़ शाम को सभी पारिवारिक झगड़ों को बिना किसी मार–पीट के सुलझाया करते थे। रोज़ शाम को दोनों भाइयों और उनकी औरतों में काँव–काँव शुरू होता और बैठक रात के दस बजे तक चलती। इस प्रकार से इन बैठकों का महत्त्व सुरक्षा–समिति की बैठकों का–सा था जहाँ लोग काँव–काँव करके युद्ध की स्थिति को काफ़ी हद तक टालने में मदद करते हैं। इस दृ...
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