सब वर्गों की हँसी और ठहाके अलग–अलग होते हैं। कॉफ़ी-हाउस में बैठे हुए साहित्यकारों का ठहाका कई जगहों से निकलता है, वह किसी के पेट की गहराई से निकलता है, किसी के गले, किसी के मुँह से और उनमें से एकाध ऐसे भी रह जाते हैं जो सिर्फ़ सोचते हैं कि ठहाका लगाया क्यों गया है। डिनर के बाद कॉफ़ी पीते हुए, छके हुए अफ़सरों का ठहाका दूसरी ही क़िस्म का होता है। वह ज़्यादातर पेट की बड़ी ही अन्दरूनी गहराई से निकलता है। उस ठहाके के घनत्व का उनकी साधारण हँसी के साथ वही अनुपात बैठता है जो उनकी आमदनी का उनकी तनख्वाह से होता है। राजनीतिज्ञों का ठहाका सिर्फ़ मुँह के खोखल से निकलता है और उसके दो ही आयाम होते हैं, उसमें
सब वर्गों की हँसी और ठहाके अलग–अलग होते हैं। कॉफ़ी-हाउस में बैठे हुए साहित्यकारों का ठहाका कई जगहों से निकलता है, वह किसी के पेट की गहराई से निकलता है, किसी के गले, किसी के मुँह से और उनमें से एकाध ऐसे भी रह जाते हैं जो सिर्फ़ सोचते हैं कि ठहाका लगाया क्यों गया है। डिनर के बाद कॉफ़ी पीते हुए, छके हुए अफ़सरों का ठहाका दूसरी ही क़िस्म का होता है। वह ज़्यादातर पेट की बड़ी ही अन्दरूनी गहराई से निकलता है। उस ठहाके के घनत्व का उनकी साधारण हँसी के साथ वही अनुपात बैठता है जो उनकी आमदनी का उनकी तनख्वाह से होता है। राजनीतिज्ञों का ठहाका सिर्फ़ मुँह के खोखल से निकलता है और उसके दो ही आयाम होते हैं, उसमें प्राय: गहराई नहीं होती। व्यापारियों का ठहाका होता ही नहीं है और अगर होता भी है तो ऐसे सूक्ष्म और सांकेतिक रूप में, कि पता लग जाता है, ये इनकम–टैक्स के डर से अपने ठहाके का स्टॉक बाहर नहीं निकालना चाहते। इन नौजवानों ने जो ठहाका लगाया था, वह सबसे अलग था। यह शोहदों का ठहाका था, जो आदमी के गले से निकलता है, पर जान पड़ता है, मुर्ग़ों, गीदड़ों और घोड़ों के गले से निकला है। ठहाका सुनते ही सनीचर ने अधिकार–भरी आवाज़़ में कहा, ‘‘यहाँ खड़े–खड़े क्या उखाड़ रहे हो ? जाओ, रास्ता नापो।’’ नौजवान अपनी हँसी के पॉकेट बुक–संस्करण प्रकाशित करते हुए अपना रास्ता नापने लगे। तब तक अँधेरे से एक औरत छम–छम करती हुई निकली और लालटेन की धीमी रोशनी में लपलपाती हुई परछाईं छोड़ती दूसरी ओर निकल गई। वह बड़बड़ाती जा रही थी, जिसका तात्पर्य था कि कल के छोकरे जो उसके सामने नंगे–नंगे घूमा करते थे, आज उससे इश्कबाज़ी करने चले हैं। सारे मुहल्ले को यह समाचार देकर कि लड़के उसे छेड़ते हैं और वह अब भी छेड़ने लायक है, वह औरत वहीं अँधेर...
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