Rahul Mahawar

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रामाधीन का पूरा नाम बाबू रामाधीन भीखमखेड़वी था। भीखमखेड़ा शिवपालगंज से मिला हुआ एक गाँव था, जो अब ‘यूनानो–मिस्र–रोमाँ’ की तरह जहान से मिट चुका था। यानी वह मिटा नहीं था, सिर्फ़ शिवपालगंजवाले बेवकूफ़ी के मारे उसे मिटा हुआ समझते थे। भीखमखेड़ा आज भी कुछ झोंपड़ों में, माल–विभाग के कागज़ात में और बाबू रामाधीन की पुरानी शायरी में सुरक्षित था। बचपन में बाबू रामाधीन भीखमखेड़ा गाँव से निकलकर रेल की पटरी पकड़े हुए शहर तक पहुँचे थे, वहाँ से किसी भी ट्रेन में बैठने की योजना बनाकर वे बिना किसी योजना के कलकत्ते में पहुँच गए थे। कलकत्ते में उन्होंने पहले एक व्यापारी के यहाँ चिट्ठी ले जाने का काम किया, फिर माल ...more
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राग दरबारी
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