रामाधीन का पूरा नाम बाबू रामाधीन भीखमखेड़वी था। भीखमखेड़ा शिवपालगंज से मिला हुआ एक गाँव था, जो अब ‘यूनानो–मिस्र–रोमाँ’ की तरह जहान से मिट चुका था। यानी वह मिटा नहीं था, सिर्फ़ शिवपालगंजवाले बेवकूफ़ी के मारे उसे मिटा हुआ समझते थे। भीखमखेड़ा आज भी कुछ झोंपड़ों में, माल–विभाग के कागज़ात में और बाबू रामाधीन की पुरानी शायरी में सुरक्षित था। बचपन में बाबू रामाधीन भीखमखेड़ा गाँव से निकलकर रेल की पटरी पकड़े हुए शहर तक पहुँचे थे, वहाँ से किसी भी ट्रेन में बैठने की योजना बनाकर वे बिना किसी योजना के कलकत्ते में पहुँच गए थे। कलकत्ते में उन्होंने पहले एक व्यापारी के यहाँ चिट्ठी ले जाने का काम किया, फिर माल
रामाधीन का पूरा नाम बाबू रामाधीन भीखमखेड़वी था। भीखमखेड़ा शिवपालगंज से मिला हुआ एक गाँव था, जो अब ‘यूनानो–मिस्र–रोमाँ’ की तरह जहान से मिट चुका था। यानी वह मिटा नहीं था, सिर्फ़ शिवपालगंजवाले बेवकूफ़ी के मारे उसे मिटा हुआ समझते थे। भीखमखेड़ा आज भी कुछ झोंपड़ों में, माल–विभाग के कागज़ात में और बाबू रामाधीन की पुरानी शायरी में सुरक्षित था। बचपन में बाबू रामाधीन भीखमखेड़ा गाँव से निकलकर रेल की पटरी पकड़े हुए शहर तक पहुँचे थे, वहाँ से किसी भी ट्रेन में बैठने की योजना बनाकर वे बिना किसी योजना के कलकत्ते में पहुँच गए थे। कलकत्ते में उन्होंने पहले एक व्यापारी के यहाँ चिट्ठी ले जाने का काम किया, फिर माल ले जाने का, बाद में उन्होंने उसके साझे में कारोबार करना शुरू कर दिया। अन्त में वे पूरे कारोबार के मालिक हो गए। कारोबार अफ़ीम का था। कच्ची अफ़ीम पच्छिम से आती थी, उसे कई ढंगों से कलकत्ते में ही बड़े व्यापारियों के यहाँ पहुँचाने की आढ़त उनके हाथ में थी। वहाँ से देश के बाहर भेजने का काम भी वे हाथ में ले सकते थे, पर वे महत्त्वाकांक्षाी न थे, अपनी आढ़त का काम वे चुपचाप करते थे और बचे समय में पच्छिम के ज़िलों से आनेवाले लोगों की सोहबत कर लेते थे। वहाँ वे अपने क्षेत्र के आदमियों में काफ़ी मशहूर थे; लोग उनकी अशिक्षा की तारीफ़ करते थे और उनका नाम लेकर समझाने की कोशिश करते थे कि अकबर आदि अशिक्षित बादशाहों ने किस ख़ूबी से हुकूमत चलायी होगी। अफ़ीम के कारोबार में अच्छा पैसा आता था और दूसरे व्यापारियों से इसमें ज़्यादा स्पर्धा भी नहीं रखनी पड़ती थी। इस व्यापार में सिर्फ़ एक छोटी–सी यही खराबी थी कि यह क़ानून के ख़िलाफ़ पड़ता था। उसका ज़िक्र आने पर बाबू रामाधीन अपने दोस्तों में कहते थे, ‘‘इस बारे में मैं...
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