प्रिंसिपल साहब की गरदन मुड़ गई। समझनेवाले समझ गए कि अब उनके हाथ हाफ़ पैंट की जेबों में चले जाएँगे और वे चीखेंगे। वही हुआ। वे बोले, ‘‘मैं सब समझता हूँ। तुम भी खन्ना की तरह बहस करने लगे हो। मैं सातवें और नवें का फ़र्क़ समझता हूँ। हमका अब प्रिंसिपली करै न सिखाव भैया। जौनु हुकुम है, तौनु चुप्पे कैरी आउट करौ। समझ्यो कि नाहीं ?’’ प्रिंसिपल साहब पास के ही गाँव के रहनेवाले थे। दूर–दूर के इलाक़ों में वे अपने दो गुणों के लिए विख्यात थे। एक तो ख़र्च का फ़र्ज़ी नक्शा बनाकर कॉलिज के लिए ज़्यादा–से–ज़्यादा सरकारी पैसा खींचने के लिए, दूसरे गुस्से की चरम दशा में स्थानीय अवधी बोली का इस्तेमाल करने के लिए। जब वे
प्रिंसिपल साहब की गरदन मुड़ गई। समझनेवाले समझ गए कि अब उनके हाथ हाफ़ पैंट की जेबों में चले जाएँगे और वे चीखेंगे। वही हुआ। वे बोले, ‘‘मैं सब समझता हूँ। तुम भी खन्ना की तरह बहस करने लगे हो। मैं सातवें और नवें का फ़र्क़ समझता हूँ। हमका अब प्रिंसिपली करै न सिखाव भैया। जौनु हुकुम है, तौनु चुप्पे कैरी आउट करौ। समझ्यो कि नाहीं ?’’ प्रिंसिपल साहब पास के ही गाँव के रहनेवाले थे। दूर–दूर के इलाक़ों में वे अपने दो गुणों के लिए विख्यात थे। एक तो ख़र्च का फ़र्ज़ी नक्शा बनाकर कॉलिज के लिए ज़्यादा–से–ज़्यादा सरकारी पैसा खींचने के लिए, दूसरे गुस्से की चरम दशा में स्थानीय अवधी बोली का इस्तेमाल करने के लिए। जब वे फ़र्ज़ी नक्शा बनाते थे तो बड़ा–से–बड़ा अॉडीटर भी उसमें क़लम न लगा सकता था; जब वे अवधी बोलने लगते थे तो बड़ा–से– बड़ा तर्कशास्त्री भी उनकी बात का जवाब न दे सकता था। मालवीय सिर झुकाकर वापस चला गया। प्रिंसिपल साहब ने फटे पायजामेवाले लड़के की पीठ पर एक बेंत झाड़कर कहा, ‘‘जाओ। उसी दर्ज़े में जाकर सब लोग चुपचाप बैठो। ज़रा भी साँस ली तो खाल खींच लूँगा।’’ लड़कों के चले जाने पर क्लर्क ने मुस्कराकर कहा, ‘‘चलिए, अब खन्ना मास्टर का भी नज़ारा देख लें।’’ खन्ना मास्टर का असली नाम खन्ना था। वैसे ही, जैसे तिलक, पटेल, गाँधी, नेहरू आदि हमारे यहाँ जाति के नहीं, बल्कि व्यक्ति के नाम हैं। इस देश में जाति–प्रथा को खत्म करने की यही एक सीधी–सी तरकीब है। जाति से उसका नाम छीनकर उसे किसी आदमी का नाम बना देने से जाति के पास और कुछ नहीं रह जाता। वह अपने–आप ख़त्म हो जाती है। खन्ना मास्टर इतिहास के लेक्चरार थे, पर इस वक़्त इंटरमीजिएट के एक दर्ज़े में अंग्रेज़ी पढ़ा रहे थे। वे दाँत पीसकर कह रहे थे, ‘‘हिन्दी में तो बड़ी–बड़...
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