प्रधान होने के नाते यहाँ तमाशबीनों में सनीचर का होना बहुत अनिवार्य था; इसलिए भी कि आज छोटे पहलवान पुलिस की ओर से जोगनाथ के ख़िलाफ़ गवाही देने आए थे। इस घटना का ऐतिहासिक महत्त्व था, क्योंकि छोटे पहलवान वैद्यजी के आदमी समझे जाते थे, और जोगनाथ भी वैद्यजी का आदमी था, और अचानक ही ऐसी बात पैदा हो गई थी कि एक ही आदमी के दो आदमी अभियुक्त और सबूत के गवाह की हैसियत से अलग–अलग खड़े हो गए थे जिसके लिए रुप्पन बाबू ने कुछ दिन हुए, नौटंकी–शैली में कहा था, कि दो फूल साथ फूले, क़िस्मत जुदा–जुदा है।