बेईमान मुन्नू बड़े ही बाइज़्ज़त आदमी थे। अंग्रेज़ों में, जिनके गुलाबों में शायद ही कोई खुशबू हो, एक कहावत है : गुलाब को किसी भी नाम से पुकारो, वह वैसा ही खुशबूदार बना रहेगा। वैसे ही उन्हें भी किसी भी नाम से क्यों न पुकारा जाए, बेईमान मुन्नू उसी तरह इत्मीनान से आटाचक्की चलाते थे, पैसा कमाते थे, बाइज़्ज़त आदमी थे। वैसे बेईमान मुन्नू ने यह नाम खुद नहीं कमाया था। यह उन्हें विरासत में मिला था। बचपन से उनके बापू उन्हें प्यार के मारे बेईमान कहते थे, माँ उन्हें प्यार के मारे मुन्नू कहती थी। पूरा गाँव अब उन्हें बेईमान मुन्नू कहता था। वे इस नाम को उसी सरलता से स्वीकार कर चुके थे, जैसे हमने जे. बी.
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