शहर में चायघर, कमेटी–रूम, पुस्तकालय और विधानसभा की जो उपयोगिता है, वही देहात में सड़क के किनारे बनी हुई पुलिया की है; यानी लोग वहाँ बैठते हैं और गप लड़ाते हैं। इस समय, दिन के लगभग दस बजे, इतवार के दिन रंगनाथ और रुप्पन बाबू एक पुलिया पर बैठे हुए धूप खा रहे थे और ज़माने की हालत पर ग़ौर कर रहे थे ।