Anil

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सभी मशीनें बिगड़ी पड़ी हैं। सब जगह कोई–न–कोई गड़बड़ी है। जान–पहचान के सभी लोग चोट्टे हैं। सड़कों पर सिर्फ़ कुत्ते, बिल्लियाँ और सूअर घूमते हैं। हवा सिर्फ़ धूल उड़ाने के लिए चलती है। आसमान का कोई रंग नहीं, उसका नीलापन फ़रेब है। बेवकूफ़ लोग बेवकूफ़ बनाने के लिए बेवकूफों की मदद से बेवकूफों के ख़िलाफ़ बेवकूफ़ी करते हैं। घबराने की, जल्दबाजी में आत्महत्या करने की ज़रूरत नहीं। बेईमानी और बेईमान सब ओर से सुरक्षित हैं। आज का दिन अड़तालीस घण्टे का है। वे
राग दरबारी
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