Suyash Singh

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मसअला प्यास का यूं हल हो जाये जितनाअमृत है हलाहल हो जाये   शहर-ए-दिलमेंहैअजब सन्नाटा तेरी यादआये तो हलचल हो जाये   ज़िन्दगी एक अधूरी तस्वीर मौतआए तोमुकम्मल हो जाय   और एक मोर कहीं जंगलमें नाचते - नाचतेपागलहोजाये   थोड़ीरौनक है हमारेदमसे वरनाये शहर तोजंगल हो जाये   फिर ख़ुदा चाहे तोआंखें लेले बसमेराख़्वाब मुकम्मल हो जाये
नाराज़
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