मसअला प्यास का यूं हल हो जाये जितनाअमृत है हलाहल हो जाये शहर-ए-दिलमेंहैअजब सन्नाटा तेरी यादआये तो हलचल हो जाये ज़िन्दगी एक अधूरी तस्वीर मौतआए तोमुकम्मल हो जाय और एक मोर कहीं जंगलमें नाचते - नाचतेपागलहोजाये थोड़ीरौनक है हमारेदमसे वरनाये शहर तोजंगल हो जाये फिर ख़ुदा चाहे तोआंखें लेले बसमेराख़्वाब मुकम्मल हो जाये