Suyash Singh

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तमाम उम्र गुज़रने के बाददुनिया में पता चला हमेंअपनेफ़ुज़ूल होनेका   उसूल वाले हैं बेचारे इन फ़रिश्तों ने मज़ा चखा ही नहीं बे उसूल होने का   है आसमां से बुलन्द उसका मर्तबा जिसको शर्फ़1 है आप के कदमों की धूल होने का   चलो फ़लक पे कहीं मन्ज़िलें तलाश करें ज़मीं पे कुछ नहीं हासिल हसूल होने का
नाराज़
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