Suyash Singh

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ये रहा नामा - ए - आमाल1 मगर तुझ से भी कुछ सवालात तो हम भी ऐ ख़ुदा पूछेंगे   वह कहीं किरनें समेटे हुए मिल जायेगा कबरफ़ूहोगी उजालेकी क़बा2 पूछेंगे   वह जो मुंसिफ़3 है तो क्या कुछ भी सज़ा दे देगा हम भी रखते हैं ज़ुबां पहले ख़ता पूछेंगे
नाराज़
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