मुहब्बतों के सफ़र पर निकल के देखूंगा ये पुल सिरात अगर है तो चलकेदेखूंगा सवाल ये है कि रफ़्तार किसकी कितनी है मैंआफ़ताबसे आगे निकलके देखूंगा गुज़ारिशोंका कुछ उस पर असरनहीं होता वह अब मिलेगा तो लहजा बदल के देखूंगा मज़ाकअच्छा रहेगा यह चांद तारों से मैं आज शाम से पहले ही ढल के देखूंगा अजब नहीं के वही रोशनी मुझे मिल जाये मैं अपने घर से किसी दिन निकल के देखूंगा उजालेबांटनेवालों पे क्या गुज़रती है किसी चिराग़ की मानिन्द जल के देखूंगा