Alok

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हवाएं बाज़ कहां आती हैं शरारत से सरों पे हाथ न रखें तो पगड़ियां उड़ जाएं   बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
नाराज़
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