Alok

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मौसमों का ख़याल रक्खा करो कुछ लहू में उबाल रक्खा करो   ज़िन्दगी रोज़ मरती रहती है ठीक से देख भाल रक्खा करो   सब लकीरों पे छोड़ रक्खा है अाप भी कुछ कमाल रक्खा करो
नाराज़
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