Alok

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अन्दर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गये कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गये   सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवकूफ़ सारे सिपाही मोम के थे घुल केआ गये
नाराज़
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