Onkar Thakur

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बहुत दिन हो गये देखा नहीं, ना ख़त मिला कोई— बहुत दिन हो गये सच्ची!! तेरी आवाज़ की बौछार में भीगा नहीं हूँ मैं!
रात पश्मीने की
by Gulzar
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