छोटी छोटी ख़्वाहिशें हैं कुछ उसके दिल में— रेत पे रेंगते रेंगते सारी उम्र कटी है, पुल पर चढ़ के बहने की ख़्वाहिश है दिल में! जाड़ों में जब कोहरा उसके पूरे मुँह पर आ जाता है, और हवा लहरा के उसका चेहरा पोंछ के जाती है— ख़्वाहिश है कि एक दफ़ा तो वह भी उसके साथ उड़े और जंगल से ग़ायब हो जाये!!