Onkar Thakur

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तुम्हारी फ़ुर्क़त में जो गुज़रता है, और फिर भी नहीं गुज़रता, मैं वक़्त कैसे बयाँ करूँ, वक़्त और क्या है?
रात पश्मीने की
by Gulzar
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